अंतरराष्ट्रीय खगोलिकी संगठन ने अप्रैल को ग्लोबल एस्ट्रोनॉमी मंथ विदआउट बार्डर घोषित किया है। इस महीने में कई दुर्लभ खगोलीय घटनाओं का दीदार होगा। सबसे खास होगा 22 अप्रैल की मध्यरात्रि में लिरिड मेटियोर शॉवर (उल्का पिंड वर्षा) का विहंगम नजारा।
वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि लिरिड मेटियोर शॉवर वैसे तो 16 अप्रैल से शुरू हो जाएगा, मगर 22 और 23 अप्रैल की रात को ये चरम पर होगा। 26 अप्रैल तक इसका दीदार हम घर की छत से कर सकेंगे। एक और अनोखी खगोलीय घटना 29 अप्रैल को होगी जब पृथ्वी के पास से 4.1 किलोमीटर चौड़ा क्षुद्र ग्रह गुजरेगा।
क्यों गिरते हैं उल्का पिंड
अपने सोलर सिस्टम में छोटे-छोटे असंख्य खगोलीय पिंड मौजूद है। अनियमित गति होने की वजह से ये आपस में टकराते रहते हैं। टकराने की वजह से कई बार ये सोलर सिस्टम के दूसरे ग्रहों पर गिर जाते है। जब ये पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते है तो गुरुत्वाकर्षण और घर्षण बल की वजह से ये जलने लगते है। तकरीबन 95 प्रतिशत मामलों मे ये जलकर धूल बन जाते हैं। पांच प्रतिशत मामलों में ये धरती पर भी आकर गिर जाते हैं।
माउंट एवरेस्ट से आधी है क्षुद्र ग्रह की चौड़ाई
अमर पाल सिंह ने बताया कि नासा ने क्षुद्र ग्रह (एस्टेरॉयड) को (एस्टेरॉयड 52768 या 1998 ओआर 2) नाम दिया है। 4 किलोमीटर चौड़े इस छुद्र ग्रह की चौड़ाई माउंड एवरेस्ट की आधी है। 29 अप्रैल को सुबह 4:56 मिनट पर ये धरती से 3.9 मिलियन मील की दूरी से गुजरेगा।
जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी के 20 गुना ज्यादा है। इसकी गति 31320 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। अधिक दूरी होने की वजह से इसे नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता है। इसके लिए रेडियो टेलीस्कोप की मदद लेनी होगी।
अमर पाल सिंह ने बताया कि नासा ने क्षुद्र ग्रह (एस्टेरॉयड) को (एस्टेरॉयड 52768 या 1998 ओआर 2) नाम दिया है। 4 किलोमीटर चौड़े इस छुद्र ग्रह की चौड़ाई माउंड एवरेस्ट की आधी है। 29 अप्रैल को सुबह 4:56 मिनट पर ये धरती से 3.9 मिलियन मील की दूरी से गुजरेगा।
जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी के 20 गुना ज्यादा है। इसकी गति 31320 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। अधिक दूरी होने की वजह से इसे नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता है। इसके लिए रेडियो टेलीस्कोप की मदद लेनी होगी।
अप्रैल में होने वाली अहम खगोलीय घटनाएं
7 अप्रैल - शहरवासियों ने सुपरमून का दीदार किया। इस दौरान चंद्रमा रोजाना की अपेक्षा 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी ज्यादा चमकीला नजर आया। सुपरमून की स्थिति के दौरान पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 30 हजार किलोमीटर तक घट जाती है।
15 अप्रैल- मंगल, शनि और बृहस्पति ग्रह एक सीधी रेखा में आ जाएंगे। शनि और बृहस्पति ग्रह चंद्रमा के बहुत ज्यादा करीब नजर आएंगे। इन्हें हम भोर में देख सकते हैं। चंद्रमा से इन दोनों ग्रहों की कोणीय दूरी लगभग दो डिग्री रह जाएगी।
16 अप्रैल - चंद्रमा और मंगल ग्रह काफी करीब आ जाएंगे। इनके बीच की कोणीय दूरी लगभग दो डिग्री रह जाएगी। इस वजह से मंगल, बृहस्पति, शनि और चंद्रमा का परस्पर मिलन दिखाई देगा।
22 अप्रैल- आसमान में उल्का पिंड वर्षा का विहंगम नजारा देखा जा सकता है। 26 अप्रैल तक इसे स्पष्ट तौर पर देखा जा सकेगा।
29 अप्रैल - 4.1 किलोमीटर चौड़ा क्षुद्र ग्रह (एस्टेरॉयड) पृथ्वी से 3.9 मिलियन माइल्स की दूरी से गुजरेगा। इसे रेडियो टेलीस्कोप की मदद से देखा जा सकता है। सुबह 4.56 बजे इसका अवलोकन किया जा सकता है।
7 अप्रैल - शहरवासियों ने सुपरमून का दीदार किया। इस दौरान चंद्रमा रोजाना की अपेक्षा 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी ज्यादा चमकीला नजर आया। सुपरमून की स्थिति के दौरान पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 30 हजार किलोमीटर तक घट जाती है।
15 अप्रैल- मंगल, शनि और बृहस्पति ग्रह एक सीधी रेखा में आ जाएंगे। शनि और बृहस्पति ग्रह चंद्रमा के बहुत ज्यादा करीब नजर आएंगे। इन्हें हम भोर में देख सकते हैं। चंद्रमा से इन दोनों ग्रहों की कोणीय दूरी लगभग दो डिग्री रह जाएगी।
16 अप्रैल - चंद्रमा और मंगल ग्रह काफी करीब आ जाएंगे। इनके बीच की कोणीय दूरी लगभग दो डिग्री रह जाएगी। इस वजह से मंगल, बृहस्पति, शनि और चंद्रमा का परस्पर मिलन दिखाई देगा।
22 अप्रैल- आसमान में उल्का पिंड वर्षा का विहंगम नजारा देखा जा सकता है। 26 अप्रैल तक इसे स्पष्ट तौर पर देखा जा सकेगा।
29 अप्रैल - 4.1 किलोमीटर चौड़ा क्षुद्र ग्रह (एस्टेरॉयड) पृथ्वी से 3.9 मिलियन माइल्स की दूरी से गुजरेगा। इसे रेडियो टेलीस्कोप की मदद से देखा जा सकता है। सुबह 4.56 बजे इसका अवलोकन किया जा सकता है।